डॉ. अम्बेडकर केवल दलितों के मसीहा नहीं : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Inderjeet Ahlawat

Abstract


भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के विरुद्ध दलितों का मसीहा होने का एक प्रबलता प्रमाण यह प्रस्तुत किया जाता है कि उन्होंने संविघान से जाति विशेष के लोगों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करके समाज की अन्य जातियों के साथ समाजार्थिक भेदभाव की नींव रखी है। इनके द्धारा की गई इस संवैधानिक व्यवस्था के कारण समाज के अन्य समाजार्थिक रूप से पिछडे लोगों के साथ जाति के आधार पर स्वभावश् भेदभाव हो गया है और जिनकी दशा दलितों से भी अधिक दयनीय है, वे जाति-भेद के कारण संशोधित है । आश्चर्यजनक तथा दुखद तथ्य तो यह है कि अज्जारक्षणक्च विषयक संवैधानिक उपबंधों का बिना गहनतापूर्वक अध्ययन तथा व्याख्या किए जो भी डॉ. अम्बेडकर के विरुद्ध लगाए गए इस निराधार आरोप को सुनते हैं, उनमें अधिकाशतः इसे सत्य मानकर तत्क्षण सांविधान निर्माता डॉ. अम्बेडकर के विरूद्व पूर्वाग्रहपूर्ण निराधार एकपक्षीय राय कायम कर उनके सप्पूर्ण व्यक्तित्व एव कृतित्व को उसी मापदण्ड से देखने लगते है। नतीजा यह है कि इस महामानव के वहुत सरि अनमोल सुझावों का लाभ उठाने से हम तथा हमारा समाज वंचित है । साथ ही आज भी डॉ. अम्बेडकर को भारत में यह स्थान प्राप्त नहीं है, जिसके वे सर्वथा अधिकारी हैं


Full Text:

PDF




Copyright (c) 2017 Edupedia Publications Pvt Ltd

Creative Commons License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License.

 

All published Articles are Open Access at  https://journals.pen2print.org/index.php/ijr/ 


Paper submission: ijr@pen2print.org