भारतीय संस्कृति का वैष्विक प्रसार

Meeto Devi

Abstract


विष्व इतिहास में भारतीय संस्कृति का वही स्थान एवं महत्व है जो असंख्य द्वीपों के सम्मुख सूर्य का हैं, भारतीय संस्कृति ही हमारी पहचान है। भारतीय संस्कृति समय-समय पर नष्ट होती रही है किन्तु भारतीय संस्कृति आज भी अपने अस्तित्व में विद्यमान हैं। भारतीय संस्कृति अन्य संस्कृतियों से बिल्कुल अलग हैं। भारतीय संस्कृति में विद्यमान कर्म, आध्यात्म, ललित कलाऐं, ज्ञान-विज्ञान विविध विधाऐं जीवन प्रणालियां और वे समस्त क्रिया कलाप उसे विषिष्ट बनाते हैं, जिन्होंनें भारतीयों के सामाजिक और राजनीतिक विचारों को धार्मिक और आर्थिक जीवन को, षिष्टाचार और नैतिकता को डाला है, भारतीय संस्कृति का अपना विकास क्रम रहा है। इस विकास क्रम में भारतीय संस्कृति का विविध संस्कृतियों से संघर्ष, मिलन ओर संपर्क से परिवर्तन तथा आदान-प्रदान होता रहा है जिसके कारण भारतीय संस्कृति में विविध श्रेष्ठ सांस्कृतिक तत्वों का समावेष होता रहा है।


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