हजारी प्रसाद द्विवेदी के पत्र
Abstract
हजारी प्रसाद द्विवेदी ग्रन्थावली खण्ड-2 में प्रकाषित पत्रावली की है श्रृंखला में मुकुन्द द्विवेदी के संपादन में ‘पत्र हजार प्रसाद द्विवेदी’ राजकमल प्रकाषन की ओर से प्रकाषित किया गया है। इस संग्रह में प्रकाषित यद्वपि कुछ पत्र ग्रंथावली के ही हैं और कुछ अन्य पत्रिकाओं में भी प्रकाषित हो चुके हैं, तथापि इसमें कुछ अनछुए पत्र भी प्रकाषित किये गये हैं। द्विवेदी जी ने अपने जीवन काल में अनगिनत पत्र लिखे होंगे, किन्तु ‘‘सभी पत्र प्राप्त नहीं हो सके, जे भी प्राप्त हुये हैं उनमें से कुछ चुने हुए पत्र इस संग्रह में प्रकाषित किये जा रहे हैं’’ पृष्ठ 3 । हिन्दी साहित्य में पत्रों को अभी विधा के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है। पर इतना तो जरूर हे कि पत्र किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को समझने में जिते सहायक होत हैं, उतना कोई और माध्यम नहीं। साहित्यकार अपने साहित्य से हटकर अपने पत्रों में ही स्वयं को खोल पाता है। विषेषकर अपने परिचितों, धनिष्ट मित्रों और अपने संबंधियो को लिखे गये पत्रों में।
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