राजा राममोहन राय का पत्रकारिता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान
Abstract
भारतीय नवजागरण के इतिहास में राजा राममोहन राय का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। चूंकि भारत में ब्रिटिश शासन की स्थापना के बाद छापेखाने की शुरूआत 1778ई0 में हो चुकी थी और जिस समय राजा राममोहन राय ने पत्रकारिता के क्षेत्र में पदार्पण किया तो उस समय भारतीय समाचारपत्रों पर ब्रिटिश सरकार ने अंकुश लगा रखा था। परन्तु देशी पत्रकारिता के क्षेत्र में राजा राममोहन राय की भूमिका अग्रणी थी और शायद वे ऐसे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने प्रेस की स्वतन्त्रता के लिए प्रथम आन्दोलन का शंखनाद किया। वास्तव में तत्कालीन परिस्थितियों में राजा राममोहन राय ने तत्कालीन बकिंघम साहब की पत्रिका ‘कैलकटा जर्नल’ का नैतिक समर्थन किया और 1818ई से लेकर अगले 5 वर्ष तक वे इस पत्रिका के द्वारा अपना निरन्तर सुधारवादी कार्यक्रम चलाते रहे और आगे चलकर उन्होंने ‘सम्वाद कौमुदी’ तथा ‘मिरातुल अखबार’ जैसी महत्वपूर्ण पत्रिकाओं की बागडोर अपने हाथ में ली। उनके प्रयासों से भारतीय पत्रकारिता को एक मजबूत आधार मिला तथा उनके प्रयासों से भारतीय पत्रकारिता को नये आयाम मिले। प्रस्तुत शोध पत्र भारतीय पत्रकारिता के क्षेत्र में राजा राममोहन राय के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डालता है।
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