महादेवी वर्मा का काव्य वेदना और रहस्य का सागर है उनकी कृतियों के आधार पर

डॉ० रेखा रानी

Abstract


मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। आदिकाल में ज्यों-ज्यों मनुष्य का संपर्क आसपास के वातावरण से होता गया, त्यों-त्यों उसके सामने की भूमि विस्तृत होती गई तथा उसके अनुभवों में वृद्धि हुई। उसकी चेतना परिमार्जित हुई और धीरे-धीरे उसमें स्मृति, इच्छा, अभिव्यक्ति आदि शक्तियों का विकास हुआ।
महादेवी जी ही छायावादियों में एकमात्र वह चिरन्तन भाव यौवना कवियित्री है जिन्होंने नये युग के परिप्रेक्ष्य में राग तत्त्व के गूढ़ संवेदन तथा राग मूल्य को अधिक मर्मस्पर्शी, गंभीर, अंर्तमुखी, तीव्र संवेदनात्मक अभिव्यक्ति दी हैं।

 


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