भारतीय संविधान में निजता का अधिकार
Abstract
’निजता’ मौलिक अधिकार है या नहीं। निजता का अर्थ व्यक्ति के एकाकीपन से नहीं, बल्कि नि1जी संवेदनाओं की संरक्षा से है। ’आधार’ को अनिवार्य बनाने की प्रक्रिया में ’निजता के अधिकार’ पर बहस आरम्भ हुई है।
सर्वाच्च न्यायालय ने जुलाई, 2017 आधार संख्या के सम्बन्ध में निजता के अधिकार के मुद्दे पर विचार करने हेतु प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय संविधान पीठ गठित की। संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, एसए बोबड़े, धनंजय वाई, चन्द्रचूड़ और न्यायमेर्ति एस. अब्दुल नजीर शामिल हैं। संविधान पीठ यह निर्णय करेगी कि निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित किया जा सकता है अथवा नहीं। उल्लेखनीय है कि आधार योजना की संवैधानिक वैधता को लेकर न्यायालय में याचिका दायर की गई है, तथा याचिकाओं में यह आरोप लगाया गया है कि आधार योजना ’निजता के मौलिक अधिकार’ का अतिक्रमण करती है।
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