भारतीय समाज और शासन व्यवस्था में ग्राम पंचायतों की भूमिका
Abstract
भारतीय समाज और शासन व्यवस्था में ग्राम पंचायत बहुत ही पुरानी अवधारणा है जिसके स्वरूप में समय के साथ-साथ बदलाव भी देखने को मिलता रहता है लेकिन निसंदेह ग्रामीण विकास में इसका एक अहम् योगदान रहा है। गांधी जी के शब्दों में अगर हम इसे समझने की कोशिश करें तो इसे बेहतर ढंग से समझा जा सकता है। भारत की आत्मा गांवों में बसती है। स्वतंत्रता से पूर्व उन्होंने पंचायती राज की कल्पना करते हुए कहा था कि सम्पूर्ण गांव में पंचायती राज होगा, उसके पास पूरी सत्ता और अधिकार होंगे। अर्थात् सभी गांव अपने-अपने पैरों पर खड़े हांगे और अपनी जरूरतों की पूर्ति उन्हें स्वयं करनी होगी। साथ ही दुनिया के विरूद्ध अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी यही ग्राम स्वराज में पंचायती राज हेतु मेरी अवधारणा है। देखिए कितने सरल शब्दों में गांवों की प्रगति को हिंदुस्तान की प्रगति से जोड़ दिया। इसका मकसद था सत्ता की डोर को देश की संसद से लेकर गांवों की इकाई तक जोड़ना।
Full Text:
PDFCopyright (c) 2018 Edupedia Publications Pvt Ltd

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License.
All published Articles are Open Access at https://journals.pen2print.org/index.php/ijr/
Paper submission: ijr@pen2print.org