प्राचीन भारतीय मुद्राओं पर अंकित धार्मिक प्रतीक : एक संक्षिप्त अवलोकन
Abstract
हर एक मनुष्य, हर एक समाज, हर एक सभ्यता के विचार तथा भाव अलग-अलग होते हैं। विचार तथा प्रतीक का कितना घनिष्ठ सम्बध है यह प्रतीकों के अध्ययन से ही समझा जा सकता है। प्रतीक के सभ्यता का अध्ययन हो सकता हे। इसीलिए एक ही बात के लिए भिन्न सभ्यताओं में भिन्न प्रतीक बन जाते हैं। साधारण सी मिसाल लीजिए। हाथ, पैर, मुँह में गोदना गोदाने की बड़ी पुरानी प्रथा है। जंगली लोगों तथा सभ्य समाज में भी यही प्रथा है। कोई अपने हाथ पर वृक्ष या फूल-पŸो बनवा लेता है और कोई भगवान का नाम गोदा लेता है। भिन्न जातियों के ऐसे-ऐसे भिन्न प्रतीक इतिहास में भरे पड़े हैं।
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