लोकतंत्र के दृष्टिकोण एवम विभिन्न आयाम

कुँवर भास्कर परिहार

Abstract


लोकतंत्र एक आध्यात्मिक आदर्श है। यह एक संगठन तथा जीवन-मार्ग है जहां व्यक्तित्व तथा मानवता का पूर्ण विकास सम्भव है।’’ इसके समस्त समर्थकों ने मनुष्य और उसके अधिकार को केन्द्र मान कर ही अपने विचारों का प्रतिपादन किया है। इसके अनुसार, लोकतंत्र की अवधारणा व्यापक है जिसमें इसे शासनतंत्र के स्वरूप, राज्य के रूप में एक व्यवस्था, समाज के विशाल रूप, नैतिक प्रारूप, आर्थिक आधारशिला, जीवन की महती परिपाटी के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह दृष्टिकोण लोकतंत्र को एक ऐसी शासन प्रणाली और सामाजिक व्यवस्था के सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत करता है जिसकी एक विशेष प्रकार की मनोवृत्ति होती है और जिसका एक आर्थिक आधार होता है। यह लोकतंत्र के राजनीतिक, सामाजिक और दैनिक व्यवहार के सारे सामाजिक एवं सांस्कृतिक मापदण्डों को सम्मिलित रूप में इसकी परिभाषा के अन्दर प्रस्तुत करता है। इस दृष्टिकोण के मूलभूत तत्व निम्नांकित हैं-


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