‘अपवित्र आख्यान’ के जरिए मानव धर्म की स्थापना की कामना
Abstract
‘अपवित्र आख्यान’ प्रख्यात उपन्यासकार अब्दुल बिस्मिल्लाह के चर्चित उपन्यासों में से एक है। अमिताभ राय ‘अपवित्र आख्यान’ उपन्यास के संदर्भ में अपने समीक्षात्मक लेख में लिखते हैं- ‘‘मुस्लिम समाज को बाह््य रूप से कथा का केन्द्र कहा जा सकता है। वह अपने तमाम अंतर्विरोधों के साथ यहाँ विद्यमान है। अंतर्विरोध के दो स्तर हैं- एक मुस्लिम समाज का अपना भीतरी अंतर्विरोध और दूसरा एक समाज के रूप में हिन्दू-मुस्लिम सम्प्रदाय का असामंजस्यपूर्ण रवैया। दूसरे स्तर पर अंतर्विरोध सघनतम हो गये हैं। इसका एक कारण तो साफ है कि इससे सामाजिक समरसता नहीं बन पायी है और इसका खामियाजा भारत जब-तब उठाता रहता है।’’
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