वैदिक काल में कृषि का विकास और महत्त्व
Abstract
भारत प्राचीनकाल से ही कृषि प्रधान देश रहा है। लोगों का प्रमुख व्यवसाय कृषि और पशुपालन रहा है। इसके प्रमाण हमें सिंधु घाटी की सभ्यता से मिलते शुरू हो जाते है। खुदाई में अनेक प्रकार के अनाजों के प्रमाण मिलते है। वैदिक काल में भी लोगों का व्यवसाय कृषि और पशुपालन था। ऋग्वेद तथा अन्य वैदिक ग्रन्थों से हमें व्यवस्थित ढंग से कृषि और पशुपालन करने के प्रमाण मिलते है। आर्य लोग खेतों की जुताई, बुआई, सिंचाई, कटाई आदि क्रियाओं की बहुत अच्छी तरह से संपन्न करते थे। भूमि के उपजाऊपन के लिए पशुओं की गौरव की खाद का प्रयोग भी करते थे। धीरे-धीरे करके भारत में कृषि का क्रमिक रूप से विकास होता गया।
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