भारतीय राष्ट्रवाद के विकास में स्वामी दयानन्द की भूमिका
Abstract
वास्तव में भारतीय राष्ट्रवाद के इतिहास में स्वामी दयानन्द का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। वे भारतीय राष्ट्रवाद और पुर्नजागरण के ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने विशुद्ध रूप से भारतीय राष्ट्रवाद का प्रतिपादन करके उसे वैदिक भावना से ओत-प्रोत किया है। यही कारण है कि उनके राष्ट्रवाद को सबसे अधिक मौलिक हिन्दू राष्ट्रवाद कहा जाता है। चूंकि स्वामी जी प्रत्यक्ष रूप से भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन से तो नहीं जुड़े थे लेकिन उनके विचारों ने निराश भारतीयों में राष्ट्रीयता की चेतना पैदा करने में अहम् भूमिका अदा की थी। उन्होंने स्वराज्य शब्द का सबसे पहले प्रयोग करके भावी पीढ़ी को नई सोच प्रदान की और यही शब्द आगे चलकर राष्ट्रवादियों के लिए मूलमन्त्र बन गया। उन्हांने वेदों की ओर लौटने का आहवान करके भारतीयां में नवचेतना, स्वाभिमान, आत्मविश्वास तथा आत्मगौरव की भावनाएं पैदा की। इससे भारतीय राष्ट्रवाद के इतिहास में नये युग की शुरूआत हुई। प्रस्तुत शोध पत्र में भारतीय राष्ट्रवाद के विकास में स्वामी दयानन्द की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है।
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