प्राचीन इतिहास के पुरातात्विक स्रोतः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Abstract
अतीत की खोज हमेशा इतिहासकारों की जिज्ञासा का विषय रही है। इतिहासकार और अतीत में गहरा सम्बन्ध होता है। इसलिए इतिहासकार अतीत की घटनाओं को विश्वसनीय ढंग से प्राप्त करने तथा उनका तर्कसंगत मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न स्रोतों पर निर्भर रहता है। इसके लिए इतिहासकार को उपलब्ध साक्ष्यों, प्रमाणों और तथ्यों का उल्लेख अपने कथन के समर्थन में करना पड़ता है। प्राचीन इतिहास में बार-बार स्रोत सामग्री को यथावत रूप में स्वीकार करना संभव नहीं है क्योंकि अतीत की घटनाओं के बारे में इतिहासकार भी पूर्वाग्रह ग्रस्त हो सकता है। जैसे अशोक की कलिंग विजय की घटना इतिहास में विश्वसनीय मानी जाती है, परन्तु मौर्य अभियान के समय पराजित शासक के बारे में इतिहासकार मौन हैं क्योंकि इसके बारे में कोई ठोस सामग्री उपलब्ध नहीं है। इसी तरह हड़प्पा संस्कृति की खोज से पहले इस सभ्यता के बारे में किसी को कुछ पता नहीं था और किसी भी प्राचीन भारतीय इतिहास के ग्रन्थ में इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं थी। यदि वर्तमान सन्दर्भ में इस सभ्यता के बारे में समझा जाये तो कुछ न कुछ अध्ययन सामग्री अवश्य उपलब्ध है। भारत के प्राचीन इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों में खुदाई से प्राप्त अवशेष, अभिलेख, मुद्रा और शिल्पकर्म शामिल हैं। प्रस्तुत शोध पत्र में इन्हीं स्रोतों का विश्लेषण किया गया है।
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