मैत्रेयी पुष्पा की कहानियों में चित्रित नारी
Abstract
मैत्रेयी पुष्पा बीसवीं सदी के दसवें दशक के हिन्दी कथा साहित्य की प्रमुख हस्ताक्षर हैं। 1994 में इदन्नमम उपन्यास के माध्यम से समूचे साहित्य जगत को अपनी मौलिक उद्भावना, गंभीर संवेदना तथा चेतना के साथ अभिभूत किया। उन्होंने कथ्यगत तथा शिल्पगत रूढ़ियों को तोड़ कर एक विश्लेषक दृष्टि का परिचय दियाहै। उनकी कहानियां नारी चेतना और नारी के अधिकारों तक ही सीमित नही हैं अपितु हाशिए पर फेंकी गई मानवीय अस्मिता को भी मुख्यधारा में लाने का प्रयास करती दिखाई देती है। उन्होंने अपनी महानियों के माध्यम से नारी का उस स्थिति और स्वरूप की पड़ताल करने का प्रयास किया है, जिसमें उसे मानवाधिकारों से ही वंचित नही रखा गया अपितु चेतन होने के अवसरों से भी दूर रखा।
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