मानवीय मूल्यों के निर्माण में संस्कृत का योगदान

दिनेश कुमार

Abstract


संस्कृत भाषा को केवल पूजा-पाठ या कर्मकाण्ड तक ही सीमित मानना असंगत है। ज्ञान-विज्ञान का ऐसा प्रचुर-भण्डार अन्यत्र दृश्टिगत नहीं होता, क्योंकि 473 ई0 में जन्म लेने वाले आर्यभट्ट ने विश्व को सर्वप्रथम बताया कि ’सूर्य स्थिर है, पृथ्वी सूर्य क चारों ओर घूमती है’, जिसके फलस्वरूप दिन और रात होते हैं तथा ज्योतिष-शास्त्र व नक्षत्र-विषयक खोज इनकी महत्त्वपूर्ण देन है। राजनीति और अर्थशास्त्र के लिए आचार्य चाणक्य का अर्थशास्त्र एक सर्वमान्य ग्रन्थ है। भाषा-विज्ञान की दृष्टि से विश्व का प्रथम ग्रन्थ यास्काचार्य का निरूक्त है। भारतीय वैय्याकरण पाणिनि, कात्यायन और पतंजलि भाषा-वैज्ञानिक ही माने जाते हैं। कम्प्यूटर के लिए संस्कृत भाषा सबसे उपयुक्त भाषा है। आचार-व्यवहार की शिक्षा के लिए वैदिक धर्मसूत्रों पर आश्रित स्मृतियाँ लिखी गयी जो वर्णाश्रम धर्म की परिचायक हैं।


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