भारत में मानवाधिकार संरक्षण की आवश्यकता

Ms. Sumitra

Abstract


वस्तुतः मानवाधिकार मानव जीवन की ऐसी परिस्थितियां हैं जिसके बिना किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का न तो विकास हो सकता है और न ही वह समाज के लिए उपयोगी बन सकता है। जिस समाज में मानवाधिकारों की स्थिति जितनी अधिक मजबूत होगी, वह समाज उतना ही अधिक प्रगतिशील माना जायेगा। अधिकांश समाज शास्त्री इस बात से सहमत हैं कि मानवाधिकार मानव सभ्यता का सार है और इनका सम्बन्ध मानवीय गरिमा से जुड़ा हुआ है। इसी को ध्यान में रखते हुए 10 दिसम्बर 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों का घोषणापत्र लागू किया। तत्पश्चात सम्पूर्ण विश्व में 10 दिसम्बर को प्रत्येक वर्ष मानवाधिकार के रूप में मनाया जाता है। भारतीय संविधान भी सभी नागरिकों को मौलिक अधिकार प्रदान करता है और मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 1993 में मानवाधिकार का गठन भी किया गया है। प्रस्तुत शोध पत्र में भारतीय परिस्थितियों में मानवाधिकारों के संरक्षण पर प्रकाश डाला गया है।


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