दलित साहित्य की वैचारिकता
Abstract
विचार मानव समाज की धरोहर होते हैं। जो हर युग व परिस्थिति में मौजूद रहे हैं। विश्व में अनेक विचारक पैदा हुए हैं। जिन्होंने मानव जाति को अमूल्य विचार दिए हैं। ऐसे विचारकों में रूसो, मार्क्स, लेनिन, माओत्से तुंग, सिगमण्ड फ्रॉयड, महात्मा गाँधी, डॉ0 अम्बेडकर आदि के नाम लिए जा सकते हैं। विचारों की सत्ता सम्पूर्ण समाज पर कायम होने से समाज का हर तबका हर युग में किसी-न-किसी विचार से प्रभावित रहा है। विचार, तब तक विचार रहता है जब तक यह समाज के सीमित क्षेत्र को प्रभावित करता है। जैसे ही इसका क्षेत्रफल विस्तृत होता है तो यह वाद का रूप धारण कर लेता है। दलित समाज व साहित्य भी इससे अछूता नहीं रहा है। यह मार्क्सवाद, गांधीवाद, बौद्धदर्शन व अम्बेडकरवाद आदि विचारधाराओं से प्रभावित रहे है। इन्हीं विचारधाराओं से प्रेरणा लेकर दलित साहित्य अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त हुआ है।
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