भारतीय राष्ट्रीय खेल का गिरता स्तर : एक विवेचना

Rajesh Kumar

Abstract


दैनिक जीवन में खेलकूद का अति विशिष्ट स्थान है। महान् दार्शनिक प्लेटो के अनुसार बालक को दण्ड की अपेक्षा खेल द्वारा नियंत्रित करना कहीं अच्छा है। खेल से स्वास्थ्य में वृद्धि होती है। खेल के दौरान माँसपेशियाँ सक्रिय होती हैं तथा रक्त प्रवाह शरीर में तीव्रता से होता है। इससे शरीर स्वस्थ बना रहता है। कहावत है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का विकास होता है। उसमें अच्छे बुरे को समझने की शक्ति विकसित होती है। खेलकूद से अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध का निर्माण होता है। खेलकूद से समन्वय की भावना आती है और मिलजुल कर कार्य करने की प्रेरण समन्वय का आधार है।


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