उषा देवी मित्रा के उपन्यास ‘जीवन की मुस्कान’ में वेष्या समस्या
Abstract
वेष्या समस्या समाज की प्रमुख समस्याओं में से एक है। समाज का यह वर्ग हमेषा से ही वेष्याओं को निरादर की दृश्टि से देखा जाता है। वात्स्यायन ने कामसृत्र में ऐसी स्त्रियों की स्थिति पर प्रकाष डालते हुए लिखा था कि ‘‘निम्न कोटि की औरत से प्रेम करना या किसी विध्वा से प्रेम करना, जो संयम का जीवन निर्वाह न कर सके, न तो षिश्ट ही समझा जाता था और न ही वर्जित ही था, क्योंकि इसका मुख्य उद्देष्य काम आनन्द था। इस प्रकार की स्त्रियां पत्नी के पद पर प्रतिश्ठित नहीं हो सकती थी। धार्मिक उत्सवों में भाग लेने का अधिकार नहीं था और न उनकी सन्तान को ही समाज में सम्मानित समझा जाता था।’’
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