1900 से 1950 तक के काल में स्त्री की स्थिति का अध्ययन
Abstract
प्राचीनकाल में स्त्री की स्थिति, खासकर वैदिक युग में आज के बजाय बहुत अच्छी थी। इसमें मैत्रेयी, गार्गी जैसी विदुशियाँ थी, जिन्होनें अपनी विद्वता सिद्ध की। रामायण में स्त्री की आदर्षवादी और मर्यादा से परिपूर्ण भूमिका दिखाई देती है। महाभारत में स्त्री की स्थिति में गिरावट आई। नारी मात्र मनोरंजन की वस्तु बनकर रह गई। ‘‘ज्यों-ज्यों पुरूश सभ्य होता चला गया परिवार व समाज की प्रमुख षक्ति बनता गया, त्यों-त्यों नारी गौण होकर उस पर आश्रित होती गई और इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में वह न केवल स्वतंत्र रही न समान और न षेश रही उसकी अस्मिता, वह पुरूश की मुट्ठी में बंद कर रह गई।’’
Full Text:
PDFCopyright (c) 2018 Edupedia Publications Pvt Ltd
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License.
All published Articles are Open Access at https://journals.pen2print.org/index.php/ijr/
Paper submission: ijr@pen2print.org