बंगाल में अंग्रेजी शक्ति की स्थाना में लार्ड क्लाडव की भूमिका का विश्लेषणात्मक अध्ययन
Abstract
प्लासी के युद्ध के पश्चात् मीर जाफर बंगाल का नवाब बना। वह एक अयोग्य तथा दुर्बल नवाब था। वह आन्तरिक एवं बाह्य रूप से बंगाल की रखा करने में असफल रहा। वह पूरी तरह से अंग्रेजों के हाथों की कठपुतली बना रहा। प्रशासन की वास्तविक शक्ति अंग्रेजों अर्थात् लार्ड क्लाइव के हाथों में थी। मीर जाफर अनेक समस्याओं से घिरा हुआ था। खदी पर बैठते समय उसने एक विशाल धन-सम्पति अंग्रेजों का प्रदान की थी जिसमें बंगाल का खजाना खाली हो गया। अब उसके पास प्रशासन चलाने के लिए भी धन नहीं बचा। क्लाइव नवाब से बार-बार धन की मांग करता रहा। मीर जाफर उसकी मांग को ठुकराने की स्थिति में नहीं था। मीर जाफर यदि योग्य होता तो वह बड़ी आसानी से अंग्रेजों के प्रभाव से मुक्त हो सकता था। परन्तु उसकी अयोग्यता उसके प्रत्येक कार्य में रूकावट बन रही थी। इसके अलावा उसने दुर्लभ राय तथा राम नारायण जैसे हिन्दु अधिकारियों को भी दबाने का प्रयास किया जो उसकी महान् राजनीतिक भूल मानी जाती है। यद्यपि क्लाइव की मध्यस्थता से नवाब तथा हिन्दू अधिकारियों में समझौता हो गया था, परन्तु इससे मीर जाफर की दुर्बलता एवं अयोग्यता जग-जाहिर हो गई।
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