नवजागरणकालीन भारत की युगीन परिस्थितियां का विश्लेषण
Abstract
भारतीय साहित्य के इतिहास अध्ययन के अंतर्गत 19वीं सदी के आधुनिकीकरण की राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक प्रक्रिया और विकास के लिए नवजागरण शब्द बहुत ही लोकप्रिय है। नवजागरण ईटली मे हुई रिनेसां का हिन्दी पर्याय रूप में प्रयुक्त होता है। नवजागरण का प्रभाव मध्ययुगीन सामंती वैभव और विलास की जगह विचार, विज्ञान और मानव की पुनर्प्रतिष्ठा हेतु संघर्ष रूप मे सामने आया। डा. कृष्ण दत्त पालीवाल के शब्दों मे आधुनिक युग हिन्दी साहित्य की विद्रोहमूलक परंपरा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण काल है और 19वीं सदी भारतीय जन-जीवन और साहित्य के क्षेत्र मे क्रांति, नवोत्थान तथा आधुनिकता के निरंतर विकसित होते प्रभाव की शताब्दी रही है। भारत मे अंग्रेजों के साथ आए बद्लाव का विस्तृत अध्ययन नवजागण के दौरान उभरती तत्कालीन परिस्थितियों के संदर्भ मे हुआ है।
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