मैकाले का अंग्रेजी शिक्षा के विकास में योगदान का विश्लेषणात्मक अध्ययन
Abstract
भारत में प्रचीन काल से ही लोग शिक्षा प्राप्त करने में अत्यधिक रूचि लेते थे। यहां की प्राचीन गुरूकुल शिक्षा पद्धति तथा तक्षशिला एवं नालंदा जैसे विश्वविद्यालय दुनिया भर में प्रस्द्धि थे। मध्यकाल में संस्कृत भाषा के साथ-साथ अरबी या फारसी भाषा का भी बहुत विकास हुआ, परन्तु भारत में कम्पनी के शासन की स्थापना के पश्चात् शिक्षा के क्षेत्र में बहुत परिवर्तन हुए। ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधिकारियों ने शिक्षा के प्रसार में गहरी रूचि ली। वारेन हेस्टिंग्ज ने 1781 ई0 में कलकता में इस्लाम धर्म के साहित्य के अध्ययन के लिए एक कॉलेज खोला। 1791 ई0 में बनारस में कंपनी के रेजीडेंट जोनाथन डंकन ने एक संस्कृत कॉलेज की स्थापना की, परन्तु कंपनी अर्थात् ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार के साथ-साथ अंग्रेजों को आधुनिक शिक्षा की आवश्यकता महसूस हुई। उनका मानना था कि भारतीयों को उनके शासकों की भाषा सीखनी चाहिए ताकि उन्हें प्रशासन चलाने के लिए सरकारी सेवाओं के लिए भारतीय कर्मचारी प्राप्त हो सकें। अतः अंग्रेजी शिक्षा के अध्ययन को जरूरी माना जाने लगा। राजा राममोहन राय जैसे अनेकों भारतीय भी अंगेजी शिक्षा सीखने के इच्छुक थे।
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