स्वामी दयानन्द सरस्वतीः एक विश्लेषण
Abstract
उन्नीसवीं सदीं में हिन्दू धर्म व समाज में अनेक कुरीतियां आ गई थी। ऐसे समय में समाज के पुनरूत्थान तथा राष्ट्रीयता के विकास में स्वामी दयानन्द सरस्वती का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं। दयानन्द सरस्वती भारत में पुनरूत्थान आंदोलन के लूथर3 माने जाते हैं जिसने लूथर के प्रसिद्ध शब्द ‘‘बाईबल की ओर लौटे ।’’ का अनुसरण करते हुए ‘‘वेदों की तरफ लौटो4’’ का नारा दिया। हिन्दू समाज को शुद्ध करने तथा अन्धविश्वास की दासता से इसे मुक्त करने हेतू युद्ध छेड़ा । स्वामी दयानन्द द्वारा संचालित आर्य समाज से पूर्व चला ब्रहम् समाज आंदोलन1 पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित एक रक्षात्मक आंदोलन था लेकिन हिन्दू धर्म की आत्मा इससे संतुष्ट नहीं हो सकी । स्वामी दयानन्द सरस्वती जैसे उग्र व साहसी सुधारक जब आर्य समाज संगठन के माध्यम से समाज के सामने आए तो ब्रहम् समाज के प्रति शंकालू लोग आर्य समाज के अनन्य भक्त बन गये , जिनके प्रेरणा के स्त्रोत प्राचीन भारतीय विचार थे।
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