हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत : परम्परागतता से प्रयोगवादी संगीत की ओर

करण धवन

Abstract


भारतीय संगीत में बहुत सी ललित कलायें मौजूद है जिनमें से संगीत कला को अन्य ललित कलाओं से उतम माना गया है। कारण बिना भाषा अथवा साहित्य की सीमा के मनुष्य संगीत की मधुर ध्वनियों द्वारा अपने भावों की अभिव्यक्ति सरलता से कर सकता है। इसलिए संगीत तक ऐसी ललित कला है। जिसमें कोई कलाकार अथवा संगीतज्ञ अपने मनोगत भावों तथा कल्पनाओं को स्वर लय और ताल के माध्यम से सुन्दर एंव कलात्मक ढंग से व्यक्त करता है।





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