भारत में जैन धर्म का उद्भव, विकास एवं पतन

Rajiv Maan

Abstract


वस्तुतः भारत में छठी शताब्दी ई0पू0 में जैन धर्म का उद्भव होना धार्मिक क्रांति की शुरूआत माना जाता है। यह समय सम्पूर्ण विश्व में बौद्धिक जागरण तथा आध्यात्मिक अशांति का युग था। इस समय भारत में ब्राह्मण धर्म की जटिलता के कारण धार्मिक कर्मकांड और यज्ञ काफी महंगे हो गए थे तथा धर्म का स्वरूप बिगड़ गया था। ऐसे समय में स्वामी महावीर ने जैन धर्म के रूप में एक सरल धर्म जनता के सामने पेश किया जो आगे चलकर श्वेताम्बर तथा दिगम्बर में बंट गया। जैन धर्म में भी जैन संघों का काफी महत्व है। इसमें महिलाओं को भी प्रवेश का अधिकार दिया गया लेकिन इस धर्म की यह विडम्बना रही कि स्वामी महावीर की मृत्यु के बाद यह धर्म धीरे-धीरे पतन के मार्ग पर चल पड़ा। फिर भी इस धर्म ने भारतीय सभ्यता और संस्कृति को काफी प्रभावित किया तथा जैन साहित्य के रूप में एक समृद्ध विरासत भारत में मौजूद है और जैन मन्दिर समृद्ध स्थापत्य कला का अनूठा नमूना है। प्रस्तुत शोध पत्र में भारत में जैन धर्म के उद्भव, विकास एवं पतन का विश्लेषण किया गया है।


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