भारतीय साहित्य में योग- एक विवेचन

Mr. दीपक

Abstract


प्राचीन काल से ही योग परम्परागत रूप से आज तक प्रचलित है जिसका उल्लेख समय-समय पर साहित्य में हुआ है। हमारे संस्कृत साहित्य में योग का बड़ा ही महत्व रहा है। योग में परमात्मा से मिलने की शक्ति भी पाई जाती है। योग के माध्यम से मनुष्य का तन-मन स्वस्थ रहता है। मनुष्य योग के माध्यम से तनाव रहित एवं सुखी जीवन व्यतीत कर सकता है। अतः वैदिक काल से लेकर आज तक के योग के इतिहास को स्पष्ट करने के लिए साहित्य में योग चर्चा का संक्षिप्त वर्णन आवश्यक है


Full Text:

PDF




Copyright (c) 2018 Edupedia Publications Pvt Ltd

Creative Commons License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License.

 

All published Articles are Open Access at  https://journals.pen2print.org/index.php/ijr/ 


Paper submission: ijr@pen2print.org