हूण वंश द्वारा भारतीय इतिहास में शैव धर्म प्रसार व बौद्ध धर्म के विध्वंश का प्राथमिक स्रोतों के आधार पर एक विश्लेषण
Abstract
भारतीय इतिहास में पांचवी शताब्दी हूण शासन के लिए ख्यात है। विशेषकर तोरमाण और मिहिरकुल की कीर्ति से भारतीय इतिहास ज्वलंत है। हूण गंधार, सिधु, मारवाड़, पश्चिमी राजस्थान, मालवा प्रदेशों पर अपना आधिपत्य स्थापित करने में सफल रहे थे। हूण शासन का सबसे महत्वपूर्ण प्रमाण है मध्यप्रदेश के सागर में मिले वाराह मूर्ति पर अंकित तोरमाण के अभिलेख। जैन ग्रंथों में भी हूण शासन के केंद्र के रूप में चंद्रभागा नदी के किनारे स्थित पवैय्या नगरी को बताया गया है । संभवतः यह पवैय्या नगरी वर्तमान मध्य प्रदेश में ग्वालियर के पास स्थित थी। इस शोधपत्र में मैंने हूण वंश द्वारा भारत में शैव धर्म के प्रचार तथा बौद्ध शर्म के विनाश से सम्बंधित इतिहास में प्रछन्न प्रमाणों को प्रकाशित व विश्लेषित करने का प्रयास किया है जिनका भारतीय इतिहास के राजनैतिक व धार्मिक विकास में अभूतपूर्व महत्व है।
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