प्राचीन साहित्यिक स्रोतों में नालंदा की प्रासंगिकता
Abstract
साहित्यिक स्रोतों से नालन्दा के इतिहास की प्राचीनता छठीं शताब्दी ई0 पूर्व तक जाती है। यह शताब्दी महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी एवं मक्खलिपुत्त गोसाल के जीवन से सम्बन्धित है तथा इन तीनों ही महात्माओं का सम्बन्ध नालन्दा से रहा है जिसके कारण नालन्दा की पहचान एक ऐतिहासिक स्थल के रूप में हुई। अतः प्रतीत होता है कि इसके ऐतिहासिक महत्व के कारण ही गुप्त सम्राट कुमार गुप्त प्रथम (शक्रादित्य) ने 5 वीं शताब्दी ई0 में यहां पर बौद्ध महाविहार की आधारशिला रखी।
नालन्दा के इतिहास में छठीं शताब्दी ई. पूर्व के बाद तथा 5वीं शताब्दी ई. के पहले का विवरण दुर्भाग्य से अनुपलब्ध है जिसके कारण इसके इतिहास में निरन्तरता का अभाव है। 7वीं शताब्दी ई0 तथा उसके बाद आये चीनी एवं तिब्बती यात्रियों के यात्रा-विवरणों से नालन्दा की उन्नति के चरमोत्कर्ष तथा उसके पतन की विस्तृत जानकारी मिलती है जिसकी पुष्टि पुरातात्विक स्रोतों से भी होती है, परन्तु इसके प्रारम्भिक इतिहास की जानकारी हेतु हमें प्राचीन बौद्ध एवं जैन ग्रन्थों पर ही निर्भर रहना पड़ता है।
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