ममता कालिया के उपन्यास दुक्खम-सुक्खम में चित्रित स्त्री चेतना का स्वर
Abstract
मनुष्य के जन्म के साथ ही उसके सम्बन्ध पैदा होते हैं और उत्तरोत्तर विकसित होते चलते हैं। कुछ सम्बन्ध उसे परम्परा से मिलते हैं और कुछ वह स्वयं बनाता है। मनुष्य स्थिति और परिस्थितियों में विशेष प्रकार का व्याहार करता है। उसके स्वच्छ और उपेक्षित व्यवहार के लिए सामाजिक संस्थाएँ उस पर नियन्त्रित करती हैं जो सामाजिक प्रक्रिया के लिए आवश्यक भी है। अतः मनुष्य का जो व्यवहार दूसरे मनुष्यों के साथ है उससे ही सम्बन्धों का निर्माण होता है। इन आपसी सम्बन्धों से ही समाज का निर्माण होता है। समाज एक व्यापक संकल्पना है।
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