वर्तमान दौर में ’कृषि लागत’ की वृद्धि और लाभ में कमीरू एक नूतन विमर्श

डॉ. महेन्द्र यादव

Abstract


भारतीय अर्थव्यवस्था में कई समस्याएं विद्यमान हैं। लेकिन वर्तमान में किसानांे की आत्महत्या की समस्या देश की एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आई है, जो न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंचा रही है, बल्कि मानव विकास में एक बड़ी बाधा के रूप में बनी र्हु है। भारत की 70 प्रतिशत किसी न किसी रूप में कृषि से जुड़ी है, परन्तु यह तथ्य भी बहुत आश्चर्यचकित करने वाले हैं कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक जैसे राज्यों में किसान रोजाना ’आत्महत्या’ के शिकार हो रहे हैं। यह घटनाएं वर्ष 2017 में अपने क्रम में वृद्धि कर रही हैं। वर्ष 2017 के संसद के मानसून सत्र के दौरान भी इस मुद्दे को संसद कार्यवाही के केन्द्र में रखा गया। परन्तु यह किसानों की समस्या का हल नहीं है। स्वतंत्र भारत के पश्चात एक दीर्घ अवधि व्यतीत करने के बाद भी किसानों की दशा में केवल नाम मात्र का ही अन्तर दृष्टिगत होता है, जिसे अंगुलियों पर आसानी से गिना जा सकता है। ऐसी कौन-सी समस्याएं हैं जो किसानों की सुदृढ़ स्थिति का सपना कभी पूरा नहीं होने देते हैं।

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