भारत सरकार अधिनियम - 1935ः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Pawan Kumar

Abstract


वस्तुतः 1857 ई0 की क्रांति के बाद भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण बदलाव आया और अब कम्पनी के शासन की बजाय भारत पर शासन की बागडोर ब्रिटिश ताज के अधीन आ गई। तत्पश्चात् ब्रिटिश सरकार ने कई अधिनियम पास किये और इस क्रम में 1935 ई0 का भारत अधिनियम अन्तिम और निर्णायक अधिनियम माना जाता है। इसका प्रमुख कारण यह था कि 1919ई0 के अधिनियम से भारतीय जनमानस नाराज था और कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग दोनों ने इसका विरोध किया था। इसी तरह 1930 ई0 में जब साईमन कमीशन की रिपोर्ट प्रस्तुत हुई तो उससे भी भारतीय नाराज हो गये और भावी सुधार की दृष्टि से ब्रिटिश सरकार ने 1930, 1931 तथा 1932 ई0 के तीन गोलमेज सम्मेलन लन्दन में आयोजित हुए। इनमें से केवल दूसरे सम्मेलन में ही कांग्रेस ने भाग लिया और अंततः ब्रिटिश सरकार ने 1933 ई0 में एक श्वेत पत्र जारी किया। इस पर विचार हेतु ब्रिटिश संसद ने एक समिति का गठन किया और इस समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही ‘भारत सरकार अधिनियम 1935’ पास किया गया। प्रस्तुत शोध पत्र में इस अधिनियम का विश्लेषणात्मक अध्ययन किया गया है।


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