राजा दशरथ के राजमन्त्रियों के गुण और नीति का वर्णन

डॉ सीमा

Abstract


वेद जिस परमतत्व का वर्णन करते हैं, वहीं श्रीमन्नारायण तत्व श्रीमद् रामायण में श्रीराम से निरूपित है। वेद वेद्य परम-पुरूषोत्तम के दशरथ नन्दन के श्रीराम के रूप में अवतीर्ण होने पर साक्षात् वेद ही श्रीवाल्मीकि के मुख से श्री रामायण के रूप में प्रकट हुए, ऐसी आस्तिकों की चिरकाल से मान्यता है। इसलिए श्रीमद् वाल्मीकीय रामायण की वेद तुल्य प्रतिष्ठा है।
यों भी महर्षि वाल्मीकि आदिकवि है अंतः विश्व के समस्त कवियों की गुरु हैं। उनका आदिकाव्य श्रीमद् वाल्मीकीय रामायण भूतल का प्रथम काव्य है। वह सभी के लिए पूज्य वस्तु है। भारत के लिए यह परम गौरव की वस्तु है और देश की सच्ची बहुमूल्य राष्ट्रीय निधि है।


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