मालती जोशी जी के साहित्य में नारी चेतना
Abstract
सर्वविदित है कि नारी का स्थान न केवल सृष्टि में बल्कि साहित्य में भी सबसे आगे रहा है। वेद-पुराणों से लेकर अब तक नारी को पूज्यनीय माना जाता है। लेकिन देवी का दर्जा देने के बावजुद कई स्थलों पर नारी की अवहेलना होती है। उसके अधिकारों को कुचल दिया जाता है, उसे केवल भोग की वस्तु समझा जाता है। लेकिन इन सभी व्यर्थ मतों की समाप्ति व नारी जागृति हेतु प्राचीन समय से ही अनेक साहित्यकारों ने अपनी लेखनी चलाई है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है मालती जोशी जी। इन्हांने कहानियों के माध्यम से समाज से जुड़ी अनेक समस्याओं के साथ-साथ नारी चेतना को भी प्रमुखता दी है। उनकी कहानियों में विविध उम्र, वर्ग, शिक्षा, स्तर.
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