वैशेषिक दर्शन - आचार मीमांसा
Abstract
आचार मीमांसा प्रत्येक दार्शनिक ग्रन्थ की आधारशिला है। अतः यही कारण है कि प्रत्येक विवेकशील व्यक्ति यह सोचने पर मजबुर हो जाता है कि जीवन क्या है? संसार क्या है? इस संसार से उसका संयोग और वियोग क्यों और कैसे होता है? क्या कोई ऐसी शक्ति विद्यमान है जो उसे नियन्त्रित कर रही है? क्या मनुष्य जो कुछ भी है उसमें वह कोई बदलाव कर सकता है? ये कुछ ऐसे प्रश्न है जो एक रहस्मयी पारलौकिकता को स्पर्श करते हैं दूसरी तरफ यह कहा जा सकता है कि जो प्रयत्न शृंखला सार्थक और सम्यक् उद्देश्य की पूर्ति के लिए दृष्ट को अदृष्ट के साथ या दृष्ट को दृष्ट के साथ जोड़ती है वह लौकिक क्षेत्रा में आचार कहलाती है।
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