भारत में 1986 की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति
Abstract
शिक्षा व्यक्ति का मूलभूत अधिकार है। शिक्षा से सम्बन्धित नीति निर्माण का कार्य व नीति क्रियान्वयन में केन्द्र व राज्य सरकारों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। भारत मेंं सर्वप्रथम 1948 में डॉ. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में शिक्षा व्यवस्था को संगठित करने के प्रयास शुरू हुए और उसके बाद 1952 में लक्ष्मीस्वामी मुदलियर की अध्यक्षता में माध्यमिक शिक्षा आयोग का गठन हुआ। आगे चलकर 1964 में कोठारी आयोग बना तथा इसी आधार पर 1968 में एक शिक्षा प्रस्ताव पास हुआ ताकि राष्ट्रीय विकास के लिए वचनबद्ध चरित्रवान तथा कार्यकुशल युवाओं को तैयार किया जा सके। इसके बाद 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नेतृत्व में नई शिक्षा नीति के निर्माण की घोषणा हुई तथा 1986 में भारतीय संसद ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को स्वीकृति दी जो 1992 में नये रूप में पेश की गई। अभी हाल ही में वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने भी बदलते परिवेश के अनुरूप राष्ट्रीय शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार किया है। चूंकि यह प्रारूप 1986 की शिक्षा नीति से काफी कुछ उपयोगी सामग्री को आधार बनाकर तैयार हुआ है और इसमें समय के अनुसार परिवर्तन भी किये गए है, फिर भी 1986 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की एक ऐसी ऐतिहासिक धरोहर है जिसका महत्व आज भी स्वीकार किया जाता है। प्रस्तुत शोध पत्र में 1986 की शिक्षा नीति के मुख्य प्रावधानों पर प्रकाश डाला गया है।
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