आचार्य विद्यासागरः अनुशासन की संकल्पना
Abstract
प्रस्तुत शोध का मुख्य उद्देश्य आचार्य विद्यासागर जी के शैक्षिक विचारों में अनुशासन की संकल्पना का अध्ययन करना था। उद्देश्य की प्राप्ति हेतु शोधार्थी ने दार्शनिक शोध विधि का चयन किया जिसमें आचार्य प्रवर के विपुल साहित्य में से 20 ग्रंथों का चयन न्यादर्श की सोद्देश्य विधि के माध्यम से किया। ग्रंथों के गहन अध्ययन एवं विश्लेषण से निष्कर्ष के रूप में पाया गया कि अनुशासन शासन की शान है। आत्मानुशासन के लिए संयम व नियम को प्रधान तत्व माना है। उनके अनुसार अनुशासन अंदर से प्रकट होना चाहिए, जो इंद्रिय व मन को लगाम दे सके। आचार्य विद्यासागर जी के शैक्षिक विचारों के माध्यम से सामाजिक मूल्यों की पुनःस्थापना संभंव है। विद्यार्थिंयों में उत्कृष्ट संस्कार तथा दिव्य आचरण का विकास होगा। साथ ही परस्पर सहयोग की भावना, सामाजिक मूल्यों का विकास, व्यवहारिक शुद्धता एवं जीवन की पवित्रता से अध्यात्मिक विकास होगा जिससे भारत को सुयोग्य नागरिक मिलेगे और प्राचीन समृद्धशाली भारत की पुनःस्थापना होगी।
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