कौशल विकास में स्थानीय निकायों की भूमिका

शशिकान्त राव

Abstract


ग्राम पंचायतों व नगर निकायों के अधिकार क्षेत्र वाले विषयों के अधिकार क्षेत्र वाले विषयों से संबधित कौशल विकास योजनाओं का क्रियान्वयन अगर इन निकायों के हाथों में हो तो शायद एक नई कौशल क्रान्ति का सूत्रपात हो सके। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना क विभिन्न उपबंधों का अंतर्संबंध स्थानीय निकायों से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष दिख भी रहा है। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह तालमेल ज़मीनी हकीकत बनकर भी उभरे।
भारत एक लोक कल्याणाकरी राज्य है। देश की व्यापक आबादी को ध्यान में रखते हुए अंतिम आदमी तक विकास का लाभ पहुंचाना सरकार का दायित्व है। इसके लिए आजादी के बाद से ही विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं के माध्यम से कोशिशों एवं प्रयोगों का सिलसिला जारी है। इन योजनाओं का नाम चाहे जो हो, सबका लक्ष्य व्यापक आबादी का सामाजिक एवं आर्थिक विकास करना ही है। इस क्रम में अनुदान आधारित विभिन्न योजनाएं भी शामिल हैं। सामाजिक सुरक्षा के नाम पर विभिन्न प्रकार की पेंशन से लेकर आवास, कुआं या शौचालय बनाने की राशि देना हो, या फिर निःशुल्क अथवा सस्ती दर पर अनाज देना, सबका मकसद एक ही है। सवा अरब से भी ज्यादा आबादी वाले इस देश की अर्थव्यवस्था अपने सीमित संसाधनो ंके बल पर आखिर किस हदतक ऐसे कल्याणकारी कार्यां को प्रभावी और निरंतर बनाये रख सकती है? लिहाजा, व्यापक आबादी का क्षमतावर्द्धन करके उन्हें रोजगार या स्वरोजगार की ओर उन्मुख करना ज्यादा कारगर है।


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