यषपाल के उपन्यास ‘झूठा सच’ में - विभाजन त्रासदी
Abstract
विभाजन से तात्पर्य है - टुकड़ों में बाँटना। भारत के इतिहास में विभाजन अभूतपूर्व घटना है। परन्तु आष्चर्य की बात है कि इस विभाजन की पृश्ठभूमि में न कोई प्राकृतिक प्रकोप था, न कोई भू-गर्भ की हलचल, जो स्थल को विभाजीत करती, न कोई बाहरी आक्रमण और न ही कोई गृहयुद्ध या पूंजी बाजार की अस्थिरता। प्रत्यक्ष रूप से यह करोड़ो मनुश्यों का संवैधानिक रूप से अपना प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं के माध्यम से स्वेच्छा से लिया गया निर्णय है। यह निर्णय देष के इतिहास और सभ्यता के सन्दर्भ में लगभग उतना ही महत्वपूर्ण है और उसी प्रकृति के काल को खण्डित करने वाला निर्णय था, जहां से सभ्यताएं और समाज या तो आत्महत्या की ओर मुड़ जाता या फिर धीरे - धीरे आत्मविनाष की ओर।
Full Text:
PDFCopyright (c) 2018 Edupedia Publications Pvt Ltd
![Creative Commons License](http://licensebuttons.net/l/by-nc-sa/4.0/88x31.png)
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License.
All published Articles are Open Access at https://journals.pen2print.org/index.php/ijr/
Paper submission: ijr@pen2print.org