मध्यकालीन भक्ति संतो में तुलसीदास
Abstract
भक्ति प्राचीन काल से ही मानव जीवन का एक अंग रही है प् प्राचीन काल से हमे साहित्यिक एवं पुरातात्विक दोनों तरह के साक्ष्यों से मनुष्य की भक्ति भावना के बारे में पता चलता है प् समय अंतराल पर भक्ति का स्वरूप भी बदलता चला गया प् दक्षिण भारत में आळ्वार और नयनार संतो द्वारा भक्ति की शुरुआत किये जाने से भक्ति की धारा तेजी से बही जिसमे अनेक संतो ने अपने अपने ईष्ट देव की आराधना में भक्ति का प्रचार करना शुरू कर दिया थाप् इस समय ; मध्यकालद्ध में संतो ने राम और कृष्ण की भक्ति का प्रचार प्रसार करना शुरू कर दिया था प् इन राम भक्त संतो में अनेक ऐसे संत हुए है जिन्होंने भगवान् राम को सगुन एवं निर्गुण रूप में अपनी भक्ति का माध्यम बनाया है प् प्रस्तुत लेख में एक ऐसे ही संत गोस्वामी तुलसीदास के बारे में बताया गया है जिन्होंने भगवान् राम की सगुन रूप में भक्ति की है प्
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