कृतिदेव यहां वैज्ञानिक युग में धर्म की प्रासंगिकता
Abstract
धर्म मानव समाज का ऐसा व्यापक, स्थायी एवं शाश्वत तत्त्व है जिसको सम्यक रूप से समझे बिना हम समाज के रूप को समझने में असफल रहेंगे। वर्तमान में मानव ने विज्ञान के सहारे अपने पर्यावरण पर काफी नियंत्रण प्राप्त कर लिया है। इसका परिणाम यह हुआ कि समाज या तो धर्म-निरपेक्ष हो गये या धर्म में रूचि रखते और धार्मिक विश्वासों की वैधता को स्वीकार नहीं करते। फिर भी धर्म आज भी एक सार्वभौमिक तथ्य बना हुआ है। धर्म मानव का अलौकिक शक्ति से संबंध जोड़ता है। इसका संबंध मानव की भावनाओं, श्रद्धा एवं भक्ति से है। धर्म मानव के आंतरिक जीवन को ही प्रभावित नहीं करता, वरन् उसके सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक जीवन को भी प्रभावित करता है। मार्क्स - ‘धर्म’ को मानव के लिए ‘अफीम’ मानते हैं। इस प्रकार धर्म मानव जीवन का एक प्रमुख अंग है।1
Full Text:
PDFCopyright (c) 2018 Edupedia Publications Pvt Ltd
![Creative Commons License](http://licensebuttons.net/l/by-nc-sa/4.0/88x31.png)
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License.
All published Articles are Open Access at https://journals.pen2print.org/index.php/ijr/
Paper submission: ijr@pen2print.org