भीमराव अम्बेडकर के सामाजिक विचारों का विश्लेषणात्मक अध्ययन
Abstract
अम्बेडकर ने उस समय निम्न वर्गों व जातियों के साथ एक परम्परागत रूप से होने वाले भेद-भाव को देखा था। क्योंकि वे स्वंय भी इस कारण से कई बार अपमानित हुए थे। यह अपमान उनको महार जाति में जन्म लेने के कारण देखना पडा। इसलिए उन्होंने भारत में तत्कालीन परिस्थितियों जो कि सामाजिक व्यवस्था में व्याप्त थी, को बदलने के लिए अथक प्रयास किए। हालांकि वे यह चाहते थे कि भारत में दलित व उत्पीडित वर्ग स्वंय अपने प्रयत्नों से जातिवाद व ब्राह्नाणवाद की इस बुराई से मुक्त हो जाए। वे लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के इस मान्यता से सहमत थे कि व्यक्ति को अधिकार दान-दहेज या फिर भिक्षा से नहीं मिलते बल्कि उनकों प्राप्त करने के लिए तो समाज में व्याप्त बुराईयों, सामाजिक ढांचे तथा परम्पराओं के साथ संघर्ष करना पडता है।
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