16वीं लोकसभा के चुनावी जनादेश का विश्लेषण

डॉ. हर्षवीर

Abstract


भारत में बहुदलीय व्यवस्था होने के कारण कई बार विखण्डित जनादेश की समस्या उत्पन्न होती रही है और 1989 के बाद निरन्तर गठबंधन सरकारों का दौर जारी रहा है। इस दौर को भारतीय राजनीति के इतिहास में सर्वाधिक उथल-पुथल का समय माना जाता है। यू.पी.ए. सरकार के शासनकाल में महंगाई व भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता से विकास और सुशासन के मुद्दे पर वोट दिया और मोदी लहर के चलते कांग्रेस का जनाधार बिखर गया। 16वीं लोकसभा के चुनावी परिणामों ने कांग्रेस को जो करारी मात दी वह भारतीय राजनीति के इतिहास में नया अध्याय लिखने वाली सिद्ध हुई। इस चुनाव में कांग्रेस मात्र 44 पर सिमट गई और भारतीय जनता पार्टी अकेले 200 सीटें जीतने में सफल रही। प्रस्तुत शोध पत्र में 16वीं लोकसभा चुनाव के सन्दर्भ में चुनावी जनादेश का विश्लेषण किया गया है।


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