मीमांसा तŸव व्यवस्था में शक्ति का निरूपण
Abstract
कारण के संबंध की व्याख्या में एक नीवन दृष्टि का परिचय देती है। कार्य की उत्पिŸा के लिए कारण के अतिरिक्त ‘शक्ति‘ भी माननी चाहिए। बीजों से अंकुर पैदा किए जा सकते हैं यह बात सत्य है, परन्तु किसी भी कारण से जैसे बीज को भून देना या बीज को किटनाशकों से बचा कर न रखनां ऐसे कई कारण है जिसके द्वारा उनकी दोबारा से अंकुर उत्पन्न करने की शक्ति नष्ट हो जाती है। तब मनुष्य लाख परिश्रम करके भी उनसे अंकुर उत्पन्न नहीं कर सकता है। जब तक यह शक्ति बीज के अन्दर बनी रहती है तभी तक उनसे अंकुर उत्पन्न किया जा सकता है। इसलिए मीमांसा बीज से अतिरिक्त ‘शक्ति‘ को भी कारण की सहायता देने वाला पदार्थ मानना ही चाहिए। इस प्रकार मीमांसा की दृष्टि में शक्ति एक विशिष्ट पदार्थ है।
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