1857 के विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ दमन चकà¥à¤° : मेवात à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨

शर्मिला यादव

Abstract


1857 का विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ भारत के इतिहास में ही नही बलà¥à¤•ि हरियाणा के इतिहास में भी महतà¥à¤µ पूरà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रखता है। सामानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ इतिहास के पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में हमे दिलà¥à¤²à¥€ की जनता पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¾à¤‚ दवारा किये गये अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ तो बहà¥à¤¤ मिलता है परनà¥à¤¤à¥ इतिहासकारों ने 1857 के दौरान मेवात कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤¾ के लोगो पर अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¾à¤‚ दवारा किये गये अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ व उन की कà¥à¤°à¥à¤¬à¤¾à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को इतिहास के पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में जगह देने में काफà¥à¤°à¤«à¥€ कनà¥à¤œà¥à¤¸à¥€ की है जबकि किसी भी इतिहास के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ में कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¯ और आंचलिक संघरà¥à¤·à¥‹ का भी कम योगदान नजर नही आता परनà¥à¤¤à¥ फà¥à¤°à¤¿à¤«à¤° भी इतिहास लेखन में कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¯ इतिहास की कमी जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ बनी नजर आती है। मैनें इस लघॠशोध पेपर ‘‘1857 के विदà¥à¤°à¥‹à¤¹ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ दमन चकà¥à¤° :  मेवात का à¤à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨â€™â€™ में इसी कमी को भरने और अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¤¾à¤‚ दवारा मेवात कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤¾ पर किये गये अतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का वरà¥à¤£à¤¨ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ किया है।

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