भारत में नारीवाद के विकास का चरण : समाजिक व ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

अमित कुमार सिंह, मनीषा धवन

Abstract


नारीवाद के बारे में सभी ने सुना होगा। मगर यह है क्या? इसके दर्शन और सिद्धांत के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं मालूम। इसे पूरी तरह जाने और समझे बिना नारीवाद पर कोई भी बहस या विमर्श बेमानी है। नव उदारवाद के बाद भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति आए बदलाव के बाद इन सिद्धांतों को जानना अब और भी जरूरी हो गया है। मेरे इस शोध में मैंने नारीवाद के विकास के विभिन्न ऐतिहासिक चरणों तथा उनके भविष्यगत पुष्टि व विकास के चरणों पर अनुसंधान करते हुए उसके आगामी स्वरूप की समीक्षा की है


Full Text:

PDF




Copyright (c) 2018 Edupedia Publications Pvt Ltd

Creative Commons License
This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial-ShareAlike 4.0 International License.

 

All published Articles are Open Access at  https://journals.pen2print.org/index.php/ijr/ 


Paper submission: ijr@pen2print.org