मध्यसोन घाटी के पुरातात्विक अवशेषों का नवीन पुनरावलोकन

अवध नारायण

Abstract


मध्य सोन नदी घाटी के भूतात्विक जमावों में पशुओं के बहुसंख्यक जीवाश्म भी मिले। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग और संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलीफोर्निया स्थित बर्कले विश्वविद्यालय के नृतत्व विभाग के प्रागितिहासविद्ों द्वारा जी0आर0शर्मा एवं जे0डी0 क्लार्क के संयुक्त निर्देशन में सन् 1980 से 1982 के बीच पश्चिम में चुरहट से लेकर पूर्व में गोपद-सोन के संगम के समीप स्थित बघोर तक मध्य सोन नदी घाटी का भूतात्विक तथा पुरातात्विक विस्तृत सर्वेक्षण एवं उत्खनन किया गया है उत्तर प्रदेष के दक्षिणी पठारी भाग जिसमें वाराणसी जिले की चकिया तहसील, मिर्जापुर जिले का समस्त क्षेत्र, इलाहाबाद जिले की मेजा, करछना तथा बारा तहसील, कौषाम्बी जनपद और झांसी मंडल के लगभग समस्त जनपद का क्षेत्र, सम्मिलित है जो मध्य गंगाघाटी क्षेत्र के अन्तर्गत आते है। मध्य सोनघाटी जिसमें मुख्यतः मध्य प्रदेष के रीवा जनपद के आंषिक तथा सींधी जनपद का उत्तरी क्षेत्र आता है जिसे अध्ययन की सहजता की दृष्टि से विन्ध्य क्षेत्र भी कहते है। यहाँ समय-समय पर इलाहाबाद विष्वविद्यालय के अन्वेषण उत्खनन और अनुसंधान के फलस्वरूप अनुःपुरापाषाणिक एवं मध्य पाषाणिक स्थल प्रकाष में आये हैं। मिर्जापुर में लगभग 50 स्थल मिले हैं जो मध्य पाषाण काल के हैं इनमें से मोरहना पहाड़, बघहीखोर और लेखहिया का उत्खनन भी किया जा चुका है। वाराणसी के चकिया तहसील में चन्द्रप्रभा नदी के किनारे अनेक स्थल प्रकाष में आयें हैं, जहाँ से मध्य पाषाणिक उपकरण मिले हैं। इलाहाबाद की मेजा तहसील में बेलन घाटी में चोपनीमाण्डों, कोल्डिहवा आदि अनेक स्थल मिले हैं।


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