बौद्ध धर्म के विकास की परिस्थितियाँ
Abstract
बुद्ध के जीवन की संक्षिप्त रूप रेखा को जानना यहाँ उपयोगी होगा, न केवल कालांतर की ढेर सारी किंवदंतियों के नीचे दबे हुए मूल तथ्यों तक पहुँचने के लिए, बल्कि उनके युग की सामाजिक स्थिति को समझने के लिए भी। उनके जन्म का नाम गौतम था, बाद में उनके अनुयायिओं ने इसके साथ ‘सिद्धार्थ’ जोड़ दिया। शाक्य (सक्क) नामक एक छोटे अविभक्त क्षत्रिय कबीले में उनका जन्म हुआ था। ये शाक्य लोग आर्य परिवार की भाषा बोलते थे और अपने को आर्य कहते थे। पालि का ठीक यही सक्क शब्द ईसा पूर्व छठी सदी के हखामनि सम्राट दारयवहु (दारा या डेरियस) - प्रथम के शिलालेख के एलामी पाठ में भी देखने को मिलता है। एलामी कबीले पर उसकी विजय की स्मृति में यह लेख खुदवाया गया था। संभव है कि एक ही शब्द के इन दो उल्लेखों में कोई सीधा सम्बन्ध न हो, किन्तु शाक्यों का आर्य मूल विश्वसनीय हो जाता है। इस कबीले में कोई ब्राह्मण या जातीय वर्ग नहीं थे, न ही इस बात का कोई उल्लेख मिलता है कि शाक्य लोग उच्च वैदिक कर्मकाण्ड का पालन करते थे। शाक्य क्षत्रिय थे और आवश्यकता पड़ने पर शस्त्र धारण भी करते थे, पर वे खेती भी करते थे। सभी शाक्यों ने बुद्ध के पिता ने भी, हल चलाया है। इसके अलावा अपने क्षेत्र के बाहर उनके कुछ व्यापारी उपनिवेश (निगम) भी थे। शाक्यों के मुखिया का चुनाव बारी बारी से होता था। इसी कारण बाद में कथा गढ़ी गई कि बुद्ध राजकुमार थे और उन्होंने भव्य राजप्रासादों में सुख-भोग का जीवन बिताया। वस्तुतः मुख्यि चुने जाने योग्य हर क्षत्रिय व्यक्ति ‘राजन्य’ कहलाता था। शाक्य आमतौर पर अपने सभी मामले स्वयं सँभालते थे, पर जीवन और मृत्यु का मामला उनके अधिकार में नहीं था। यह अधिकार उनके अधिनायक कोसलराज (उस समय पसेनदिः संस्कृत में प्रसेनजित) को था, जिसके आधिपत्य को शाक्यों ने स्वीकार कर लिया था। इस मामले में उनकी स्थिति मल्लों और लिच्छवियों- जैसे अधिक शक्तिशाली एवं पूर्ण स्वतन्त्र. आर्य कबीलों से भिन्न थी। इन आयुध जीवी कुलतन्त्रों पर, तत्कालीन यूनानी गणतंत्रों की भाँति, किसी बाह्य राजा का आधिपत्य नहीं था, और ये भी अपने मुखिया का चुनाव बारी-बारी से करते थे। बुद्ध की जन्मभूमि की जानकारी बहुमूल्यस सिद्ध होती और हमारे तिथिक्रम के लिए संदर्भ बिंदु बनती। उनकी मृत्यु 543 ई0 पू0 में हुई थी।1 परन्तु जो उल्लेख मिलते हैं उनमें साठ वर्ष का अन्तर पाया जाता है। जिसका
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