प्राचीन भारत में वेदकालीन और महाभारतकालीन शिक्षा व्यवस्था
Abstract
प्राचीन भारत में वेदकालीन शिक्षा का आश्रम व्यवस्था से गहरा सम्बन्ध था। वैदिक साहित्य में वर्णित चार आश्रमों में ब्रह्मचर्य आश्रम की सम्पूर्ण व्यवस्था तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी हुई थी। जब हम अथर्ववेद में ब्रह्मचर्य आश्रम के बारे में पढते हैं तो हमें वेदकालीन शिक्षा व्यवस्था के बारे में व्यापक जानकारी प्राप्त होती है। वस्तुतः वैदिक युग में शिक्षा व्यवस्था चर्तुवर्गीय सिद्धान्त पर आधारित थी। इसमें धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति का उद्देश्य निहित था जिसे गुरूकुल शिक्षा प्रणाली द्वारा अमलीजामा पहनाया जाता था। इस शिक्षा प्रणाली में समाज के प्रत्येक व्यक्ति को आत्मविश्वास का पूरा अधिकार प्राप्त था। परन्तु महाभारत काल में राजकुमारों की शिक्षा पर विशेष बल दिया जाता था और शिक्षा व्यवस्था में असमानता तथा भेदभाव का दोष पैदा हो गया था। इस समय बालक को शिक्षा पूर्ण होने पर गुरू दक्षिणा भी देनी पड़ती थी। महिलाओं को भी शिक्षा का अधिकार प्राप्त था। प्रस्तुत शोध पत्र में वेदकालीन शिक्षा को आधार मानते हुए महाभारत काल तक हुए शिक्षा के विकास व उसकी व्यवस्था पर प्रकाश डाला गया है।
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