रमणिका गुप्ता के ‘सीता’ और ’मौसी’ उपन्यास में चित्रित आदिवासी नारी का संघर्ष

कृष्णा देवी

Abstract


रमणिका गुप्ता कि इन दोनों उपन्यासों में आदिवासी समाज का चित्रण किया गया है। ‘‘आदिवासियों की संस्कृति काफी हद तक बहुसंख्यक हिंदू समाज की विकृतियों की शिकार हो चुकी थी और यह प्रक्रिया सतत् जारी थी। आदिवासी समाज कभी अपनी आवश्यकताओं के लिए तो कभी उसको जबरन खेतों, खदानों में मजदूर बन कर या बनाकर आ रहा था या लाया जा रहा था। सरकार, सूदखोरों व दिकुओं और बाहरी लोगों द्वारा उनकी जमीनों और जंगलों का उनसे छीना या हड़पा जारी था। आदिवासी स्त्री-देह-वस्तु में परिवर्तित करने की होड़ मची थी।’’1

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